मेरी गझलें
जिंदगीका आइना धुँधला हुआ
दम-ब-खुद हैं ख्वाब तनहाई-पसंद
बेअदब बेबाकियाँ वो अब कहाँ
खॅंडहरोंके पार है इक आशियाँ
३.गुज़ारा
शुक्रगुजारीमेंही गुज़ारा हो जायेगा
फिरसे रोशन एक सितारा हो जायेगा
लगता है ये शौक दुबारा हो जायेगा
उन यादोंमे जिक्र तुम्हारा हो जायेगा
दर्दे-दिलको यहीं गंवारा हो जायेगा
‘नूर’ चमकता एक नजारा हो जायेगा ..
जश्ने-चिरागाँ- दीपोत्सव )
मुझे भुला दो,अपना सब्र आज़माया करो
कभी सराहा था तुमने मेरा अंदाज़े-बयाँँ
दिलोदिमागसे ऐसी बला ह्टाया करो
निभा लो धूप फिजा ख्वाहिशोंसी बरसाते
मकाँमें दिलके सुकूँ सायोंसा बिछाया करो
बहुतही तेज है तीखी है तुम्हारी आदत
अजबसे नाज हमारेभी है उठाया करो
मेरे शहरमे रहो "नूर" मुझसे दूर रहो
कभी जो राह मिले तब तो मुस्कराया करो..
वो मानते नादाँ तुझे , कहते तुझे उलझा चमन
गुस्ताखियाँ कर माफ हर इक बार तू मेरे वतन
के ये चित्र तेरे चरित्र ये : हमसे है ये इनसे है हम
पहचानते हर चाल हम कितनेभी हो टेढे चलन
उजले कई, धुँधले कई ,कई बुझ गये तेरे चिराग
सदियोंकी लंबी दास्ताँ इन वादियोंमें हुई दफन
भूली नही बदली नहीं यादे शहीदे-कौमकी
लहरा तिरंगा लाल जब तेरे सो गये पहने कफन
अनगिनत तेरी कोठियाँ ,चूल्हे तेरे ,तेरी रोटियाँ
अनगिनत सपनोंसे है रौशन दिल तेरा,तेरा जहन
तू फैसला हर दौरका करता रहा है बेजुबाॅं
तेरे रूहकी खामोशियाॅं करे ‘नूर‘की जागिर जतन..
सरजमीनका ऊॅंचा तू सर ऐ कश्मीर
धन्य भारती तुझको पाकर ऐ कश्मीर
माॅंकै कॅंधोपर अबतक तू पला बढा
आज दूधका कर्ज अदा कर ऐ कश्मीर
अलग-थलग तुझको करना चाहे हैवाॅं
उस नीयतका थूक दे जहर ऐ कश्मीर
कई लाल सो गये खूनके धब्बोंपर
पहनो फिरसे उजली चद्दर ऐ कश्मीर
अमन रहे ,तू फले "नूर" आबाद रहे
अपना है तू अपने घरपर ऐ कश्मीर
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